तृष्णा

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कहानी-----तृष्णा "मां हम कहां जा रहे हैं" नन्हे दीपू का का मासूम स्वर जब नीता के कानों में पड़ा। तो उसकी आंखें छलछला पड़ी, गला रुंध गया। पलटकर दीपू को देखा झट से उठा कर सीने से लगा लिया। बंद आंखों से आंसू टप-टप गिर रहे थे और मां का वात्सल्य ममता को बाहों में भींचकर आत्मिक सुख से आश्वस्त हो जाना चाहता था ।नीता ने खाली अलमारी को देखा। उसमें कपड़े, जूते, खिलौने कुछ भी नहीं थे। सब कुछ बैग में पैक हो चुका था। जिसे उसने खुद अपने ही हाथों से