क्रान्तिकारी - 4 - अंतिम भाग

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क्रान्तिकारी (4) "कुछ नहीं, सर! पत्रिका के काम में लगा हुआ हूं." शांतनु घबरा रहा था कि कहीं कोई विषय इस बार भी न थमा दें बच्चा बाबू. पकड़ा देंगे तो सुजाता के लिए कुछ करना ही होगा-- बच्चा बाबू से बड़ा सोर्स उसके पास कोई था नहीं. सुजाता की समस्या हल हो जाने से उसे अपनी समस्या हल होती नजर आ रही थी. उसके लगते ही सुजाता की मां के आ जाने की पूरी आशा थी. और यही नहीं, अब वह अन्दर-ही अन्दर सुजाता के प्रति एक लगाव -सा अनुभव करने लगा था.जब वह बेडौल शैलजा को सामने रख