मोहि

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चुपके से सुन इस पल की धुन इस पल मे जीवन सारा,सपनों की है दुनिया यही तेरी आखो से मैंने देखा....रेडियो मे बज रहा गाना स्तुति के कानो मे यादों की मिसरी घोल रहा था ! अपने शहर के जाने-माने रेडियो स्टेशन मे इनटर्नशिप कर रही स्तुति ओर यह गाना जेसे उसकी ही कहानी सुना रहा था सपनों की दुनिया ही तो थी ये स्टुडियो ये छोटू सा स्टुडियो !ये सफर का आगाज कब हुआ था? यह याद कर रही थी आरजे हंट से ? नहीं! औडिसंस से ! ना रेडियो डे से या फिर वो दीन जब उसका ब्रेक-अप