होने से न होने तक - 5

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होने से न होने तक 5. बाबा दादी से कई बार पहले भी मिल चुकी हॅू मैं। कभी उनको देखा भर था और कभी उनके साथ एक दो दिन के लिए रहना हुआ था। उतना थोड़ा सा समय तो पहचान के लिए ही काफी नही होता फिर उसको जानना तो कहा ही नही जा सकता। अब की से पहली बार काफी दिनों के लिए एक साथ लग कर रहना हुआ है। दो हफ्ते से हैं वे लोग। दिन मेरा नीचे अपने ही कमरे मे उन लोगों के साथ ही बीतता है, फिर मेरे कपड़ों की अल्मारी,किताबें वगैरा सब इसी कमरे