"हम पता लगते ही ख़बर देंगे" सेना मुख्यालय के तीन दिन में तीस चक्कर लगाने के बाद जब एक क्लर्क ने जवाब दिया तो प्रतिवाद करने लायक उसके पास कोई तर्क नहीं था। हाथों में बेटी की हथेली थाम उसने साथ खड़े अफज़ल की तरफ़ देखा जो खुद में ही ग़ुम, शून्य में ताक रहा था।विडम्बना ऐसी की उसे समझ ही नहीं आ रहा था की अब क्या? अब तक खुद को सुहागन मानती आ रही थी पर आज सुबह से ख्याल आ रहा था की काश! आज उसे बेवा घोषित कर ही दिया जाए। कम से कम हर महीने