कुबेर - 23

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कुबेर डॉ. हंसा दीप 23 भारतीयों के इस बाज़ार को देखते भारत की बहुत याद आती। हालांकि इन सब नयी व्यस्तताओं के बीच भी मैरी से बात बराबर हो रही थी। जीवन-ज्योत के बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी उसे मैरी से ही मिल पाती थी। बात तो चाचा से भी बराबर होती थी पर मैरी की बातों के टॉनिक से डीपी का मनोबल बना रहता। वह हर बात को पूरे विस्तार से बताती जैसे भाई सामने ही हों और वह बातें कर रही हो। बात ख़त्म कर फ़ोन रखने के बाद होम सिकनैस परेशान करने लगती। “क्या बात है डीपी,