होने से न होने तक - 9

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होने से न होने तक 9. मैं नहा कर बाहर निकली तो बुआ मेरा इंतज़ार कर रही थीं। वे मुझे कुछ लंबे क्षणों तक ध्यान से देखती रहीं थीं,‘‘तुम भाभी से बहुत रिसैम्बल करती हो। शादी हो कर आई थीं तब वे बहुत कुछ तुम्हारी जैसी ही दिखती थीं।’’ बुआ चुप हो गयी थीं। पर वे मुझे उसी तरह से देखती रही थीं ‘‘कभी कभी भैया भाभी की बहुत याद आती है।’’ मैं चुप रही थी। कुछ देर तक बुआ जैसे कुछ सोचती रही थीं। जैसे तौल रही हों कि कहें या न कहें। वैसे सोंच कर बोलना उनका स्वभाव