परवरिश में कमी

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परवरिश में कमी...!! भाईसाहब! थोड़ी जगह मिल जाएगी क्या? बैठने के लिए,राधेश्याम जी ने सीट पर बैठे सहयात्री से पूछा।। हां.. हां..क्यो नही भाईसाहब, बहुत जगह हैं अभी,एक जन तो आराम से बैठ ही सकता है,उन सज्जन ने जरा खिसकते हुए कहा।। और राधेश्याम जी,उन सज्जन की दी हुई सीट पर बैठ गए।। जी, मैं सूर्यकिरण तिवारी,उन सज्जन ने अपना परिचय दिया।। जी, मैं राधेश्याम गुप्ता, राधेश्याम जी ने भी अपना परिचय देते हुए कहा।। जी, बहुत अच्छा!! कहां तक जा रहे हैं आप, सूर्यकिरण तिवारी जी ने राधेश्याम जी से पूछा।। बस, झांसी तक