अन्नदाता

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अन्नदाता दुनिया इधर की उधर हो जाए । सूरज उगना भूल जाए। मौसम कैसा भी हो, आंधी तूफान हो, सर्दी हो, गर्मी कि बरसात हो, मगनीराम जी नियमित रूप सेरोज सुबह शाम चीटियों को आटा डालने जाएंगे ही । जिन जिन मैदानों की चीटियोंके वे अन्नदाता हैं, वहां वे इस तरह से नियम से समय पर पहुंचते हैं किउसके आसपास रहने वाले लोग अपनी घड़ियां मिला लेते हैं। रोज सुबह 6:00 बजेहुए स्कूटर से निकल पड़ते थे। शहर भर के छिद्रों में झांकते। उनमें आटाडालते। अंदर का तो नहीं मालूम पर लगता है घर के भीतर भी यह सिलसिला जारीरहता होगा। यह