कुबेर - 26

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कुबेर डॉ. हंसा दीप 26 बेहद निराशा हुई। समझ गया वह। एक के बाद एक मालिक बदल गए थे। सालों का अंतराल था, चीज़ें तो बदलनी ही थीं। लेकिन करता क्या, मन तो नहीं बदला था न वह तो वही देखना चाहता था जो सालों पहले छोड़ कर गया था। वे चले गए हैं, अब कहाँ रहते हैं किसी को मालूम नहीं था। वहाँ अब कोई ऐसा नहीं था जो उसे जानता हो। उनका परिवार कहाँ है, किसी को कुछ पता नहीं था। लगता है उन्हें यहाँ से गए काफी समय हो गया है। न छोटू-बीरू थे, न महाराज जी।