कुबेर - 27

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कुबेर डॉ. हंसा दीप 27 अब इस मुक्त मन की मुक्त उड़ान में बहुत कुछ उड़ने लगा था। माँ का कुबेर का ख़जाना खनन-खनन करता सामने आता। कल्पनाएँ उड़तीं न्यूयॉर्क शहर के स्वर्ग मैनहटन की गगनचुम्बी इमारतों के शीर्ष तक और बड़े से बोर्ड पर एक नाम उभरता लिखा हुआ, जगमगाती रौशनी से आँखों को चौंधियाता – कुबेर.....कुबेर....कुबेर, हर ओर कुबेर। एक दिन इन पर लिखा होगा कुबेर। एक व्यक्ति नहीं, संस्था नहीं, शहर या देश भी नहीं सिर्फ़ एक विचार। ऐसा विचार जिस पर काम होता रहे और दुनिया क़दमों में बिछती रहे। दुनिया के लिए कालीन तो तैयार