घेराव - 2

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घेराव (कहानी पंकज सुबीर) (2) होने को तो पुलिस को यही लग रहा था कि सब कुछ उसके सोचे अनुसार ही हो रहा है लेकिन कहते हैं ना कि भीड़ और भेड़ का जिसने भरोसा किया उससे बड़ा बेवकूफ़ कोई नहीं। युवा डीएसपी भी यहीं पर मात खा गया। जनाज़े की नमाज़ के बाद जनाज़ा मस्ज़िद से आगे बढ़ा तो भीड़ के सुर बिल्कुल बदल चुके थे। जिस समय डीएसपी एस पी को वायरलेस पर सूचित कर रहा था कि सर यहां सब ठीक है, ठीक उसी समय जनाज़ा शहर के मुख्य चौराहे पर रखा भी जा चुका था, और