ध्वनियों के दाग 

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“संयक्त परिवार में अक्सर दोपहर तक के घर के काम निपटाते- निपटाते औरतें थककर चूर हो जातीं हैं , तो उन्हें लगता कि उनके बच्चे भी थोड़ी देर उनसे दूर रहें, उनके पास न आएँ लेकिन साथ में प्राथमिक शिक्षा भी उन्हे मिलती रहे |” नादान की ताई यानी कि बड़ी मम्मी और दादी चर्चा-मग्न थीं | बैठक से पानी पीने आये नादान के दादा जी विनोद ने ठिठककर जब सुना तो वे बिना सोचे- समझे बोल पड़े “अच्छा ये बात है तो कल से दोपहर के बाद घर के सभी बच्चे मेरे पास लॉन में पड़े तख़्त पर ही