हां, पर एक शर्त है

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हां, पर एक शर्त है सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त अस्सी वर्षीय आनन्द प्रकाश जीवन का अन्तिम समय अकेले रहकर बिता रहा था, क्योंकि उसकी धर्मपत्नी का देहान्त हो चुका था। दोनों बेटे विदेश में सैटल थे, जो साल-दो साल में एकाध बार हफ्ते-दस दिन के लिए पिता का हालचाल पता करने आ जाते थे। बेटी नीलिमा उसी शहर में अपने घर-परिवार के साथ रहती थी। आनन्द प्रकाश पार्ट-टाइम कामवाली से अपना काम चला रहा था कि एक दिन बाथरूम में पैर फिसलने से उसके ऐसी गहरी चोट लगी कि उसके लिए उठना भी मुश्किल हो गया। जैसे-तैसे घिसटते हुए उसने