कागज के टुकड़े

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"कागज के टुकड़े" -अर्चना अनुप्रिया सुबह से ही घर में हंगामा था।सारी सोसायटी के लोग महेशनाथ जी के घर के आगे जमा हो रहे थे। कल रात कोई चोर महेशनाथ जी की तिजोरी ही चुराकर ले गया था। सभी जानते थे कि वह तिजोरी महेशनाथ जी को कितनी अजीज थी।हर वक्त वह उसे अपनी नजर के सामने रखते थे।घर के किसी भी सदस्य को उसे छूने तक की इजाजत नहीं थी।बिना पूछे उनके कमरे में आने जाने तक की मनाही थी। लेकिन, आज तो उनके कमरे का नजारा ही बदला हुआ था।लोग कमरे में भरे पड़े थे और सभी एक -दूसरे