ऐसा हाे तो

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कहानी ऐसा हो तो ......... हरियश राय बी. ए करने के बाद बैजनाथ को एक मैन्‍यूफैक्‍चरिंग कंपनी में एकाउंटस का काम करने का मौका मिला तो उसने इस मौक़े को अपने हाथ से जाने नहीं दिया. यह उसकी काबलियत के मुताबिक नौकरी थी. पैसे भी उसे ठीक ही मिल रहे थे. नौकरी शुरु करते ही उसे एहसास हो गया था कि इस नौकरी में किसी हुनर की जरूरत नहीं है. उसमें और कोई खास हुनर था भी नहीं. कोई बड़े - बड़े सपने उसने अपने मन में पाले भी नहीं थे और इससे ज्यादा वह चाहता भी नहीं था.