निर्मम अंधेरे

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निर्मम अंधेरे ‘‘ हे....दीदी, तू हिजड़ी है का ?‘‘ -छुटके ने तपाक से बोला तो डेहरी पर से लहसुन का झाबा उतारती नैय्या भीतर तक सुलग गई। छुटके को घूर कर निहारा। वह जैसे उसकी निंगाहों के ताप से सिहर सा गया और उछल का भाग खड़ा हुआ। 16 साल की नैय्या ने डेहरी पर से लहसुन का झाबा उतारा और रसोई की ओर चली गई। एक विचित्र सी वितृष्णा उसके भीतर घुल गई। अम्मा पर क्षोभ सा हुआ। ‘‘ ई अम्मा तो जिनगी नर्क बनाय दिहिस है। जाने कऊन सा मंत्र पढ़ाय दिहिस हम्मैं कि जीना दूभर होई गया।‘‘