जो घर फूंके अपना - 28 - विदेश की राह में वो लड़खड़ाता पहला कदम

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जो घर फूंके अपना 28 विदेश की राह में वो लड़खड़ाता पहला कदम हमारी यात्रा का प्रथम चरण दिल्ली से दुबई का था, जहां जहाज़ में ईंधन भरवा कर हमे तेहरान के रास्ते रूस में तिबलिसी तक की उड़ान भरनी थी और फिर वहाँ से मास्को की. दुबई उन दिनों भी कस्टमड्यूटीमुक्त (ड्यूटीफ्री) दूकानों के लिए मशहूर था. दूकानदार ज़ियादातर सिंधी और दक्षिण भारतीय थे. शराबबंदी गुजरात जैसी कड़ी थी अतः करेंसी में भारतीय रूपये और भारतीय शराब दोनों चलते थे. अर्थात हम अपने साथ लाइ हुई फौजी रम चाहते तो आसानी से स्काच व्हिस्की में बदल पाते. ये काम