होने से न होने तक - 20

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होने से न होने तक 20. शशि अंकल मानसी की तरफ देख कर हॅसे थे, ‘‘तू क्यों विरोध कर रही है। मैंने तो सबसे पहले तेरा ही सब्जैक्ट चुना है।’’ ‘‘क्यों मानसी के साथ यह फेवर क्यों?’’कई आवाज़े एक साथ आयी थीं। शशि कान्त अंकल ने अपनी बात जारी रखी थी, ‘‘एक तो सोशालजी अकेला डिपार्टमैंन्ट है जिसमें टीचर्स की संख्या सात है। फिर इस सब्जैक्ट में लड़कियॉ भी बहुत ज़्यादा हैं और मानी हुयी बात है कि एम.ए.के लिए हमें स्टूडैन्ट्स के कम होने का कोई डर नही होगा।’’ मानसी मुस्कुरायी थीं पर साथ ही अपने नज़रिए पर टिकी