प्रेम का बलिदान

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किसी चीज का त्याग कर देना कितना कठिन होता है यह अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है। यदि अपनी भाषा में कहू तो यह असंभव है और यदि त्याग अपने प्रेम का हो तो फिर हृदय हर पीड़ा को पार कर जाता है जबकी चोट कहीं भी दिखाई नहीं पड़ती है। कुछ ऐसा ही हुआ है इस कहानी के दो पात्रों के बीच जिन्हें अपने सम्पूर्ण जीवन में एक दूसरे को उतारने की इतनी कल्पनातमक्ता नजर आने लगी थी कि बस एक ही होकर संसार से कहीं दूर बस जाना है लेकिन ईश्वर को न जाने क्या मंजूर