अंत

  • 6.8k
  • 1.9k

अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती कहा जाता है।टूटी- फूटी बदरंगी दीवारों से भी बदरंग था वहाँ बसने वालों का जीवन।एक छोटे से मकान के आगे पहुँच कदम ठिठक गए । काफी अंधेरा था अंदर । सीलन की बदबू से दम घुटा जा रहा था । टाट की पट्टियों से कमरे के बीच एक दीवार बनाई हुई थी । एक बेडौल देह वाली औरत टाट के पीछे से निकल, बाहर आई । मनचाही रकम ऐंठ,टाट की दीवारों के पीछे ले गयी , जहाँ कोठरीनुमा एक संकरा सा कमरा था