खानदानी बेशर्म

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विमला : अजी आप तो मोहल्ले में नज़र ही नहीं आती, आज कल कहाँ ओखली में मुह घुसेड कर बैठी रहती हैं | कुए के मेंढक की तरह घर में घुसे बैठे नहीं रहना चाहिए | लोगों से मिला झुला कीजिये | वरना एक दिन दिमाग सटक जाएगा | कमला : घर के काम काज भी तो होने हैं नां ! अब तुम ठहरी कामचोर कलमुही, चुगलीखोर, मैं तेरी तरह घर घर जा कर नैनमटक्का तो नहीं कर सकती ना ! विमला : वह सब छोड़ो, यह बताओ, तुम्हारा नशेडी गर्दुल्ला बेटा कहाँ है | आज कल दीखता नहीं ?