होने से न होने तक - 23

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होने से न होने तक 23. आज इतवार है। यश को गए आज सात हफ्ते हो गए-एक महीना अठ्ठारह दिन। मैं तो यश के जाने के दूसरे दिन से ही दिन गिन रही हूं। गिनती दिन से चल कर माह तक पहुच चुकी है। क्या ऐसे ही वर्षो की आमद शुरू हो जाएगी? साल...दो साल...दस साल। जब तक जीयूंगी क्या यूं ही हिसाब लगाती रहूंगी...बे मतलब। जानती हूं उससे कुछ भी हासिल नहीं होना है...फिर भी। फिर भी क्या कहे अपने आप को ? मूर्ख। उससे भी क्या होना है। यह मूर्खता तो एकदम लाइलाज है। उस दिन कहॉ सोचा