घुग्घू

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घुग्घू (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घुग्घू ...घुग्घू ...बाहर आ, घुग्घू ..घुग्घू ....बाहर आ’’ आज फ़िर छोटे बच्चे घुग्घू को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। एक छोटा सा कीड़ा घुग्घू जो जब भी धूल में घुसता है तो ऊपर एक छोटा सा शंकू के आकार का गड्ढा छोड़ जाता है, और इसी शंकू के अंतिम सिरे पर पर धूल में कहीं गहरा छिपा होता है घुग्घू। गर्मियों में ये छोटे छोटे शंकू धूल में ढेरों नज़र आते हैं, और इन्हीं शंकुओं में लकड़ी की एक तीली गोल गोल घुमाते हैं छोटे बच्चे, साथ में गाते जाते हैं ‘‘घुग्घू घुग्घू बाहर