हरिया

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"हरिया"एक बूढ़ी दादी दरवाजे से बाहर आई, और रोते हुए मंगरू से बोली, बेटा तुम्हे लड़का हुआ है । पर बेटा तोहार मेहरारू बसमतिया इस दुनिया से चल बसी, अब इस अभागे का जो है सो तुम्ही हो । बेचारी इतने सालों से एक औलाद के लिए तरसती रही, इतने सालों बाद भगवान ने उसकी इच्छा पूरी की, तो बेचारी उसकी सकल देखे बिना ही इस दुनिया से चल बसी । बेचारी बड़ी अभागन थी ये कहकर बूढ़ी दादी रोने लगी । ये सब सुनके मंगरू को तो जैसे साँप सूंघ गया, बेचारा पागलों की तरह दहाड़े मार के रोने