छुटकी

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" छुटकी " "अरे ओ.. छुटकी इधर आ जल्दी, से कहाँ है..?" ठकुराइन ने जोर से आवाज देते हुए बुलाया। छुटकी दौड़ती हुई ठकुराइन के पास आई और स्नेहिल नैनों से टुकुर टुकुर उनकी तरफ देखने लगी। "यहीं रुक, मैं अभी आई".. इतना कहकर ठकुराइन भीतर रसोई घर में जाकर कुछ खाना लेकर आई और छुटकी से कहा.." तेरा बर्तन कहाँ है ?? , जा भाग कर जल्दी से लेती आ ।" छुटकी भाग कर गई और आँगन के एक कोने में रखा उसका अलमुनियम का प्लेट जहाँ शायद किसी की नजर भी ना