विलुप्त होता मुहावरा

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विलुप्त होता मुहावरा रामगोपाल भावुक हमारे गाँव के भोले बाबा बड़े किस्सा गोई हैं। वे गाँव से जुड़े किस्से अक्सर सुनाते रहतें हैं। पीपल के पेड़ के नीचे रोज की तरह लोगों ने उन्हें घेर लिया-‘ बाबा, बाबा आज कोई नया किस्सा सुनाओ। ’ बाबा अपनी लम्बी दाड़ी पर हाथ फेरते हुए बोले-‘ आज में दो बैलों की कथा सुनाउँगा। यह कह कर उन्होंने कथा वाचक पण्डितों की तरह पालथी मारी और कथा कहने लगे- बात इन्हीं दिनों की है, पिछले कुछ दिनों से रामभरोसे के पुत्र महेश के मन में बड़ी उथल पुथल मची है