दहेज से क़ीमती संस्कार

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"जिज्जी! मुझे लगा तुम्हारी बहू ने वरमाला के वक्त असली गहने पहने थे। हाय! कैसे जगह ब्याह दिया लल्ला को? शादी में नकली गहने कौन देता है बेटी को" चाची सास की बाते राखी के कान में लावा बन कर पिघल रही थी। उस पर उसके सास की व्यंग भरी मुस्कराहट ने मुँह दिखाई की सारी खुशियां छू कर दी थी। राखी मध्यम वर्गीय परिवार से होनहार और पढ़ी लिखी लड़की थी। पिताजी दहेज विरोधी थे। खुद अपने जीवन में अपना या परिवार के किसी भी भाई का दहेज ले कर शादी नहीं की थी। जिंदगी की सारी पूंजी बच्चों की