जो घर फूंके अपना - 43 - गुरु की तलाश में

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जो घर फूंके अपना 43 गुरु की तलाश में ऑफिसर्स मेस में साथ रहने के लिए अब मेरे दो चार अविवाहित दोस्त भी नहीं बचे थे. गुप्ता की शादी की तारीख भी निश्चित हो गयी थी और अधिकाँश समय वह गायब रहता था. मैं मेस में अकेलापन महसूस करने लगा था. घर से माँ का आग्रह लगातार बना हुआ था कि दिल्ली से फिर कहीं दूर-दराज़ पोस्टिंग होने से पहले मैं अब शादी कर डालूँ. मेरे अर्दली हरिराम का सुझाया हुआ जीवन दर्शन यदि सही था कि “साथ रहते रहते हर मर्द औरत को आपस में मोहब्बत हो ही जावे