आधी दुनिया का पूरा सच - 11

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आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 11. रानी आशंकित और भयभीत तो पहले से ही थी, पाँच सितारा होटल के ऊँचे शानदार भवन को देखकर उसके कदम ठिठककर वहीं रुक गये । वह आगे नहीं बढ़ सकी। उसके अंत: से अब एक ही मूक स्वर बार-बार उठ रहा था - "अनाथ आश्रम और माई की झुग्गी में से निकलना ही मेरे लिए बहुत दुष्कर था, यहाँ फँस गयी, तो इस शीशमहल से निकलना कितना कठिन होगा ! यहाँ से निकलना तो असंभव हो जाएगा !" रानी के कदम ठिठकते देखकर वार्डन ने डाँटते हुए कहा - "जल्दी-जल्दी कदम उठाओ, नेताजी