तीन औरतों का घर - 4

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तीन औरतों का घर - भाग 4 दुनिया जहान की सारी दौलत साबिर के हाथों में थी! जब शफी ने हामिदा का खत साबिर के हाथ में पकड़ाया! कांपते हाथों से साबिर ने खत खोला! खत भी जैसे हामिदा की लरजती आँखों ने लिखा हो! केवल एक लाइन ही लिखी थी लेकिन इश्क़े दास्ताँ पूरी कह दी हो! साबिर आपका पैगाम कबूल हैं! तुम्हारे इन्तजार में हामिदा साबिर ने खत को चूम लिया! हामिदा का जवाब पढ़कर साबिर का दिल झूमने लगा था! "भाईजान देखकर तो लग रहा हैं! जवाब ‘हाँ' में आया हैं! मेरे चिप्स....." शफी खुश होते हुए