आधा आदमी - 16

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आधा आदमी अध्‍याय-16 ‘‘पर यह सब हुआ कब?‘‘ ‘‘कल रात.‘‘ ‘‘माई कहाँ है?‘‘ ‘‘वही गई हैं.‘‘ ‘‘तो ठीक हैं भाईजान, मै बाद में आता हूँ.‘‘ कहकर ज्ञानदीप ने सेलफोन रख दिया। एकाएक ज्ञानदीप को चाय पीने की तलब लगी। और वैसे भी उसका सिर भारी हो रहा था। उसने जैसे ही चाय का पानी चढ़ाया उसे अचानक याद आया कि न ही शक्कर हैं, न ही चायपत्ती। पर्स देखा तो वह भी खाली था। वह हर बार की तरह गूडडु की दुकान उधार सामान लेने पहुँच गया। गूडडु सामान देने में बिजी था। मौका पाते ही उसने पूछा, ‘‘क्या लिख