बिगुल

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बिगुल “तुम्हें घोर अभ्यास करना होगा”, बाबा ने कहा, “वह कोई स्कूली बच्चों का कार्यक्रम नहीं जो तुम्हारी फप्फुप फप्फुप को वे संगीत मान लेंगे...” जनवरी के उन दिनों बाबा का इलाज चल रहा था और गणतंत्र दिवस की पूर्व-संध्या पर आयोजित किए जा रहे पुलिस समारोह के अंतर्गत मेरे बिगुल-वादन को सम्मिलित किया गया था बाबा के अनुमोदन पर। “मैं सब कर लूँगी, आप चिंता न करें...” मैंने कहा। उनके सामने बिगुल बजाना मुझे अब अच्छा नहीं लगता। वे खूब टोकते भी और नए सिरे से अपने अनुदेश दोहराते भी “बिगुल वाली बांह को छाती से दूर रखो, तभी