आधा आदमी - 17

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आधा आदमी अध्‍याय-17 पीछे-पीछे टीकली अम्मा भी चली गयी। ‘‘लगता हैं नया-नया बिगड़ा हैं.‘‘ दुकान में बैठे एक सज्जन ने अपने बगल वाले से कहा। ‘‘कुछ भी कहो माल मस्त हैं.‘‘ उसने भी अपनी टिप्पणी व्यक्त की। ‘‘बड़ी टाइट होती होगी इन लोगों की?‘‘ ‘‘मैंने भी सुना हैं.‘‘ ‘‘सही बताना क्या कभी इनकी ली हैं.‘‘ ‘‘अबे लड़कियो से फुर्सत मिले तो इनकी सोचूँ.‘‘ ‘‘यही हाल तो अपना भी हैं। पर यार, सुना हैं जितना मजा इन हिजड़ो से पा जाओंगे उतना औरतों से नहीं पाओंगे.‘‘ ज्ञानदीप चाय का भुगतान करके रिपयेरिंग की दुकान पर आया और पैसे देकर साइकिल लेकर