जो घर फूंके अपना - 51 - फिर वही चक्कर

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जो घर फूंके अपना 51 फिर वही चक्कर इसके बाद दो एक महीने बिना कुछ असामान्य घटना के बीत गए. पिताजी ने बताया तो था कि मुझसे मिलने किसी लड़की के घरवाले पहले से सूचित कर के आयेंगे पर मैं प्रतीक्षा ही करता रहा,कोई आया नहीं. संकोचवश मैं पिताजी को याद नहीं दिला पाया. बस मैं अपने रोज़मर्रा के काम में व्यस्त रहा. उड़ाने रोज़ ही कहीं न कहीं ले जाती रहती थीं. अब तक मैं वायुसेना में छः साल से अधिक बिता चुका था. भारत जैसे बड़े देश के कोने कोने से परिचित होने का अवसर इतना मिल चुका