सामाजिक आलेख - खाने की बर्बादी मतलब फिजूल खर्च और प्रदूषण

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सामाजिक आलेख - खाने की बर्बादी मतलब फिजूल खर्च और प्रदूषण देखा गया है कि आजकल मध्यम वर्ग के लोगों की आमदनी भी बढ़ी है और उनकी क्रय क्षमता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है . सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों में काफी मुनाफा हुआ है जिसके चलते उनके खानपान , रहनसहन के स्तर में इजाफा हुआ है , यह अच्छी बात है . पर इसके साथ ही बर्बादी का सिलसिला भी बढ़ा है . यहाँ हम घर के आम गैजेट्स और डिवाइसेज की बात न कर खाद्य सामग्रियों