लॉकडॉउन और अधूरे सपने

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बबलू जो म.प्र. के उज्जैन के शिप्रा नदी के किनारे बसे एक छोटे से गांव का आठ साल का मासूम बच्चा है, वह गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ता है। उसे पढ़ने का बहुत शौक है पर उसके पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है कि वह उसे किसी बड़े प्रायवेट स्कूल में पढ़ा सकें। वह पढ़ने में अच्छा है तो उसके स्कूल के शिक्षक भी उससे बहुत लगाव रखते हैं। उन्हें भी बबलू के पिता की माली हालत का पता रहता है कि वह कैसे दिन-रात दूसरों के खेतों पर मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण