समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 5

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समंदर और सफेद गुलाब 5 मेरी बात सुनकर अनिल बीच में ही बोल पड़ा, ‘अरे डॉक्टर साहब... ऐसा है तो आप कोई और रोल कर लें, उसमें दिक्कत ही क्या है?’ ‘बिल्कुल नहीं, मैं जो घर से सोचकर आया था और जिस रोल के लिए मैं आया था, वही करूंगा वर्ना नहीं। वो तो मैं वहां से निकलना चाहता था इसलिए उस राज बाबू को बोल दिया। क्योंकि मैं कोई झगड़ा नहीं चाहता था। मैं एक लेखक हूं और गुस्से पर काबू पाना मुझेे खूब आता है। वैसे भी लेखक को जिंदगी में नये-नये तुजुर्बों से गुजरना ही चाहिए और