महामाया - 32

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – बत्तीस महाअवतार बाबा के दर्शन कर काशा प्रफुल्लित थी। उसकी आँखों से महाअवतार बाबा की मूरत गायब ही नहीं होती थी। सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते हर पल वो ‘ऊँ महाअवतार बाबा नमः’ का जाप करती रहती। उसकी एक ही साध थी महाअवतार बाबा के दर्शन। अपनी इस इच्छा के लिये वह बाबाजी से खूब अनुनय विनय करती ‘‘प्लीज बाबाजी एक बार.....सिर्फ एक बार और हमें महाअवतार बाबा से मिलवा दीजिये।’’ लगभग एक सप्ताह बाद फिर से काशा की महाअवतार बाबा से मुलाकात करवायी गई। थोड़ी देर तो वो अपलक महाअवतार बाबा को देखती रही। फिर उसने