समानांतर

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समानांतर “देखो शालू, ये मेरे कल के कार्यक्रम में खींचे थे।“ सुषमा ने खूब हुलास से बेटे के सामने अपना मोबाईल स्क्रीन रखा। अपेक्षा थी कि वो उछलकर मोबाईल हथिया लेगा, रेकॉर्डिंग सुनने की जिद करेगा, फिर अलग अलग सोशल साईट्स पर डालने के लिये इसमें से कुछ फोटो चुनने लगेगा। लेकिन शालीन.. हां यही नाम था उसका... शौक से रखा हुआ लेकिन पसंद न आनेवाला नाम। उसने उड़ती सी नज़र ड़ाली स्क्रीन पर और फीकी सी मुस्कान देकर अपनी स्क्रीन पर लौट गया। सुषमा थोड़ी हताश हुई। लेकिन ये दिन भर में पहला मौका नही था। उसकी पसंद का