इत्तफाक से इन्तज़ार तक ... - 1

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ये कहांनी हैं एक अलग ही प्रेम कि , दो ऐसे लोग जो मिले थे इत्तफाक से.. ना दर्द देने वाला past था, ना अलग cast थी ...पर हालत से बिछड़े हुए .. इंंताजर में जीते हुए.. .. . देखने वाली बात ये भी है की कैसे दो अजनबी इत्तफाक से इन्तज़ार का ये सफ़र निभाते हैं ..दुनिया की रश्मों से बिछड़ जाते हैं .. और वक्त की ताकत फिर उन्हें सामने लाती है.. पर क्या सालों के बाद वो एक दूसरे को समझा पायेंगे खुद समझ पायेंगे ?? सवाल बहूत होंगे पर जवाब कहा से लायेंगे .? क्या