तू नहीं और सही, और नहीं और सही

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तू नहीं और सही, और नहीं और सही अन्नदा पाटनी छत पर खड़ी थी । इधर उधर नज़र दौड़ाई तो देखा । बाज़ू वाली छत पर एक लड़की खड़ी किसी को हाथ से कुछ इशारा कर रही थी । उत्सुकता हुई कि देखूँ कौन है जिसको इशारा कर रही है । ओह, तो यह बात थी, सामने की खिड़की पर एक नौजवान खड़ा था ।सुंदर और आकर्षक । मुस्कुरा कर उसने भी कुछ इशारों से समझाया । मुझे भी समझ आ गया कि ये कहीं मिलने का समय और जगह तै कर रहे हैं । मुझे यह समझ नहीं आया