कुछ से कुछ

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कहानी-- कुछ से कुछ आर. एन. सुनगरया दरवाजे पर दस्‍तक सुनकर गौर साहब ने दरवाजा खोला। सामने खड़े आगन्‍तुक का चेहरा देखते ही उनके ऊपर ना जाने कैसी प्रतिक्रिया हुई कि उनका चेहरा तुरन्त लाल-पीला हो गया। ऐसा लगा जैसे उन्‍हें वह वस्‍तु मिल गई, जिसकी उन्‍हें वर्षों से तलाश थी। इससे पूर्व कि गौर साहब अपने आप पर संयत होते, आगन्‍तुक ही बोला, ‘’आप हैं श्री गौर, हत्‍या और जासूसी कहानियों के फैमस लेखक?’’ उन्‍होंने अपने आपको सम्‍हाला, ‘’अन्‍दर आइए।‘’ दोनों एक साथ अन्‍दर आये, नज़र निरीक्षण किया। कमरा तो