सड़क पर औरतें

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सड़क पर औरतें प्रियदर्शन उसे वहां से नहीं मुड़ना था। घर अगले मोड़ पर था। लेकिन वह मुड़ गई। उसे मालूम था, कुछ देर चलेगी तो बाज़ार आ जाएगा। धूप तेज़ थी। दुपट्टा उसने मुंह पर लपेट रखा था। लेकिन उसकी पीठ पसीने से चुहचुहा रही थी। एक बार मन हुआ कि वह लौट जाए। र