आबरू

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आज उसके यहाँ पंचायती बैठी थी | हालाँकि उसके श्वसुर जी अपनी जाति के पाँच पंचों में से एक थे | ज़िन्दगी भर दूसरों के घर पंचायती करते रहे लेकिन आज दुर्भाग्य ने उनके घर को घेर लिया | उसकी बेटी यानि श्वसुर जी की पौती ने अन्तर्जातीय युवक से विवाह कर लिया था | उसके श्वसुर और पति ने बहुत ढूँढा | मिल जाती तो उस कलंक को सदैव के लिए मिटा देते परन्तु मिली नहीं | श्वसुर और पति दोनों बहुत दुखी थे पर बहु के चेहरे पर पीड़ा की कोई लकीर नहीं | इसीलिए बाप बेटा दोनों