जिंदगी मेरे घर आना - 6

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जिंदगी मेरे घर आना भाग – ६ नेहा की आँखें खुली तो पसीने से तर-ब-तर थी... ओह! ये पावरकट तो जान लेकर रहेगा एक दिन... पता नहीं कब किताब पढ़ते-पढ़ते आँख लग गई थी उसकी। बहुत देर तक ठंढे पानी से हाथ-मुंह धोती रही। अचानक ध्यान आया जरा इन महाशय का हाल देखें... और जो देखा तो ईष्र्या से भर उठी... लान में झूले पर लेटा... शरद ठंढी-ठंढी हवाओं के झोकों का मजा लेता... एक मोटी सी किताब में डूबा था। जी तो उसका भी कर रहा है, जरा लाॅन में टहले तो कुछ राहत मिले... पर वो हजरत जो