एनीमल फॉर्म - 5

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एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (5) सर्दियों के नजदीक आने के साथ-साथ मौली और अधिक उत्पाती होती चली गयी। वह रोज सुबह काम के लिए देर से पहुंचती। वह बहाना यह लगाती कि वह देर तक सोती रह गयी। वह जानी-अनजानी पीड़ाओं की शिकायत करती, हालांकि उसकी खुराक अच्छी-खासी थी। वह किसी न किसी बहाने से काम से जी चुराती, वहां से भागती और पीने के पानी वाले ताल पर चली जाती। वहां वह खड़ी होकर फूहड़ों की तरह अपनी परछाई निहारती रहती। लेकिन इससे अधिक गंभीर किस्म की अफवाहें भी उसके बारे में फैली हुई थीं। एक