खनार (खण्डहर)

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खनार (खण्डहर) रमा कान्त उर्फ रमदा के बिल्कुल सड़क से सटे घर के आंगन में कार को पार्क कर उनकी छोटी सी परचून की दुकान में उनसे मुलाकात करने के लिये आगे बढ़ गया, बचपन में एक ही स्कूल में पढ़ते थे हम, दो साल सीनियर थे मुझसे, पढ़ने में अच्छे थे पर पुरोहिताई करने वाले पिता असमय ही चल बसे, किसी तरह दो साल मां की मेहनत, थोड़ा सा मलकोट का सहारा था जो इंटर कर ही लिया, इंटर के बाद अल्मोड़ा चले गये, किसी दुकान में काम करने लगे, उन पर ईश्वर कृपा इतनी ही रही कि 'दिल्ली