गोधूलि - 3

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गोधूलि (3) जिस दिन वह गांव में आता सारे जानवर इकट्‌ठा किए जाते थे। उत्साह होता था। जानवर उसे पहचानते थे। भागते थे, पर पकड़ लिए जाते थे। घोड़े, सुअर, मुर्गे, बकरों के अंडकोश से राजाओं की दावतें होती थीं। इन्सान ने अपने सुख के लिए दूसरों के अंडकोशों तक का इस्तेमाल किया है। उन्होंने बताया कि इस जानवर के अंडकोश से औरतों के लायक हमेशा बने रहने की दवा बनती है। बाजार मे उसकी लाखें रूपए की कीमत है। पता नहीं कैसे, पर यह बात यह जानवर जानता है। जैसे ही किसी शिकारी को देखता है, पूरी ताकत से