त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 3

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा (उपन्यास)3नंदनी के मन मे कई सारे सवाल थे। उसकी मन शान्त नहीं थी। उसकी माथे पर उसकी चिंता और परिसानी साफ झलक रही थी। वो खुद को कई सवाल करती है - "मे राघव से प्यार कब से करने लगी?, मुझे तो ये भी नहीं पता की मे उससे प्यार करती हु या नहीं। मुझे उसके साथ रहेकर इतनी सुकून क्यों महसूस होती है? और जब वो खुश होता है तो मे इतना खुश क्यों होती हु? जब वो मुझसे गले लगा तो मेरी सारी चिंता गायब होकर मुझे सुकून क्यों महसूस हुआ? क्या मे उससे प्यार